अहले
हदीस में मुख़्तलिफ़ जमातें कौन हक़ पर?
=======================
मकबूल
अहमद सलफी
लोगों
के ज़हन व दिमाग़ में आज कल यह शुबह डाला जाता है कि अहले हदीस में भी मुख़्तलिफ़
जमातें हैं, इसलिए यहाँ सवाल पैदा होता है कि अहले हदीस की कौन सी जमात
हक़ पर है ?
इस
बात को समझने के लिए पहले यह जानना होगा कि अहले हदीस किसे कहते हैं और इनकी क्या
पहचान है ?
अहले
हदीस क़ुरआन व हदीस पे अमल करने वाले को कहते हैं यानी अस्लाफ़ की फ़हम को सामने रखते
हुए क़ुरआन व हदीस की रोशनी में दीने मुहम्मदी की हक़ीक़ी शक्ल पेश करते हैं, इसमें
शख़्सियत परस्ती या ज़ातियात का कोई दख़ल नहीं जो क़ुरआन व हदीस से साबित हो उसे मान
लेने वाला अहलुल हदीस़ है चाहे वह किसी रोज़गार से जड़ा हो, किसी
दीनी नश्रियाती इदारे जड़ा हो या किसी जमाअती तंज़ीम से वाबस्ता हो। अस्ल चीज़ है
उसका मन्हज।
इसीलिए अहले हदीस को मुख़्तलिफ़ नामों से जाना जाता है मसलन
सलफ़ी, मुहम्मदी, अहलुस्
सुन्नह, असरी और ताइफ़े मंसूरह वग़ैरा ।
अहले
हदीस जमात क़ुरआन व हदीस की रोशनी में दीने मुहम्मदी की सच्ची तस्वीर अव्वाम के
सामने पेश करने के लिए मुख़्तलिफ़ महाज़ पे दीनी काम करती है।
दीने
मुहम्मदी की सच्ची तस्वीर पेश करने का सब से मज़बूत ज़रिया मदारिस हैं जहां से उलमा
व फ़ुज़ला निकल कर फिर नए नए ज़राए से दीने मुहम्मदी की अस्ल सूरत पेश करते हैं ।
जमाअती
तंज़ीमें जो मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में मुख़्तलिफ़ नामों से बनाई जाती हैं, यही
अहले मदारिस इन तन्ज़ीमों के ज़रिया अव्वामुन् नास को तरह तरह के वसाइल अपना कर
दीने मुहम्मदी से रूशनास कराते हैं । यह तंज़ीमें जिस क़द्र फैली होंगी उसी क़द्र दीन
की नश्र व इशाअत भी होगी ।
लिहाज़ा
जमात की मुख़्तलिफ़ तन्ज़ीमों से अहले हदीस की फ़आलिय्यत और इनकी सरगर्मियों का पता
चलता है । हिन्दुस्तान में जमइय्यत अहले हदीस के नाम से जमाअती तंज़ीम चलती है, पूरे
हिन्दुस्तान में इसका जाल बिछा है । इसका मतलब यह हुवा कि अहले हदीस जमात
हिन्दुस्तान की पूरी अव्वाम को सहीह दीन से रूशनास करा रही है, तभी
तो आज दिन ब-दिन अव्वाम इस जमात की तरफ़ तवज्जह बढ़ाती जा रही है । इस जमइय्यत के
अलावा अहले हदीस की कुछ दूसरी जमइय्यत और तंज़ीम भी हैं, इनका
भी मिशन और मन्हज वही है जो मरकज़ी जमइय्यत अहले हदीस हिन्द का है, तो
इसमें कोई हर्ज नहीं । जैसे कहा जाता है जितने मदरसे होंगे उतनी तालीम बढ़ेगी वैसे
ही जितनी मज़्हबी तंज़ीम होगी अव्वाम उतना फ़ाएदा उठाएगी ।
यहाँ
एक बात वाज़ेह रहे कि अगर कोई मज़्हबी तंज़ीम क़ुरआन व हदीस की राह से हटी हुई है या
वह क़ुरआन व हदीस के नाम पे तक़लीद परस्ती या शख़्सियत परस्ती फैलाती है या फिर क़ुरआन
व हदीस की तालीम सलफ़े सॉलेहीन की फ़हम की रोशनी में नहीं पेश करती तो वह अहले हदीस, सलफ़ी, मुहम्मदी, अहल
अस-सुन्ना, असरी और ताइफ़े मंसूरह से हटी हुई तंज़ीम है।
=====================
अब हिंदी में दीनी किताबों, या
दीनी मेसेजेस का बनाना होगा बहुत आसान, सूबाई
जमइय्यत अहले हदीस महाराष्ट्र की जानिब से बहुत जल्द एक उर्दू से हिंदी में
यूनिकोड कनवर्टर लांच हो रहा है.
यह मज़मून इसी कनवर्टर से हिंदी में कन्वर्ट किया गया है.
0 comments:
اگر ممکن ہے تو اپنا تبصرہ تحریر کریں
اہم اطلاع :- غیر متعلق,غیر اخلاقی اور ذاتیات پر مبنی تبصرہ سے پرہیز کیجئے, مصنف ایسا تبصرہ حذف کرنے کا حق رکھتا ہے نیز مصنف کا مبصر کی رائے سے متفق ہونا ضروری نہیں۔اگر آپ کوئی تبصرہ کرنا چاہتے ہیں تو مثبت انداز میں تبصرہ کر سکتے ہیں۔
اگر آپ کے کمپوٹر میں اردو کی بورڈ انسٹال نہیں ہے تو اردو میں تبصرہ کرنے کے لیے ذیل کے اردو ایڈیٹر میں تبصرہ لکھ کر اسے تبصروں کے خانے میں کاپی پیسٹ کرکے شائع کردیں۔